अभिमन्यु वध (Abhimanyu Vadh) : अधर्मियों ने किया पीछे से वार



हेलो दोस्तों स्वागत है आपका एक बार फिर से Social Life Any Time में , आज की कहानी है वीर अभिमन्यु वध की। दोस्तों वीर अभिमन्यु वध (Abhimanyu Vadh) कहानी में बताएँगे की वीर अभिमन्यु को कौरवों ने छल से कैसे मारा था। इस कहानी में आपको अधर्म की पराकाष्ठा देखने को मिलेगी,की एक नन्हे बालक को छल से बड़े बड़े वीर योद्धाओं ने कैसे मारा था। तो दोस्तों चलिए शुरू करते है आज की कहानी (Abhimanyu Vadh)


अभिमन्यु वध 


अभिमन्यु वध (Abhimanyu Vadh) : अधर्मियों की पराकाष्ठा 


दोस्तों Mahabharat एक महाकाव्य है जो न केवल एक महान युद्ध कथा है बल्कि ये धर्म ,कर्तव्य ,और मानवता की एक बहुत गहरी शिक्षा भी प्रदान करता है। दोस्तों आपको बता दे की इस महाकाव्य में अभिमन्यु वध की एक दुखद घटना भी शामिल है। दोस्तों अधर्मियों ने कैसे वीर अभिमन्यु को छल से मारा था। इस महाकाव्य में सबसे ज्यादा पीड़ा देने वाले Abhimanyu Vadh की कहानी है। जिसमे अधर्म की पराकाष्ठा को दर्शाता है। 


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अभिमन्यु का परिचय 


दोस्तों आपको बता दे की अभिमन्यु अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र थे। दोस्तों अभिमन्यु को बचपन से ही युद्ध कला में अच्छा खिलाडी माना जाता था। अर्जुन ने अपने पुत्र अभिमन्यु को महाशक्ति और युद्धकला के सभी गोपनीय रहस्यों की शिक्षा प्रदान कर दी थी। दोस्तों आपको बता दे की वीर अभिमन्यु की उम्र केवल 16 वर्ष थी , लेकिन वीर अभिमन्यु का साहस और पराक्रम अदुतीय था। 
वीर अभिमन्यु का विवाह उत्तरा से हुआ था। दोस्तों वीर अभिमन्यु ने खुद को एक साहसी और महान योद्धा के रूप में सबको साबित किया। 


चक्रव्यूह की योजना 


दोस्तों आपको बता दे की महाभारत (Mahabharat) के युद्ध के 18वें दिन अधर्मी कौरवों ने एक योजना बनायीं और उस योजना के तहत कौरवों ने चक्रव्यू की संरचना की। दोस्तों आपको बता दे की चक्रव्यूह एक ऐसी सैन्य संरचना थी जिसे भेदना  मुश्किल था। और चक्रव्यूह को भेदना हर योद्धा के बस की बात नहीं थी। ये संरचना ऐसी थी की अगर चक्रव्यूह में प्रवेश कर भी लिया तो निकलना मुश्किल हो जाता था। दोस्तों चक्रव्यूह को भेदना का पूर्ण ज्ञान सिर्फ कुछ ही योद्धा को आता था। जैसे। .... 

  • श्री कृष्ण 
  • अर्जुन 
  • द्रोणाचार्य 
  • प्रदयुम्र 

इनके अलावा किसी को चक्रव्यूह को भेदने का पूर्ण ज्ञान नहीं था। दोस्तों बता दे की केवल अभिमन्यु को चक्रव्यूह को भेदना आता था। लेकिन चक्रव्यूह से बाहर निकलने का ज्ञान नहीं था। दोस्तों वीर अभिमन्यु ने अपने माता के गर्भ से चक्र्वुह को भेदने का ज्ञान प्राप्त किया था। आपको बता दे की एक बार अर्जुन सुभद्रा को चक्र्वुह के बारे में ज्ञान दे रहे थे। तो सुभद्रा की आंख लग गयी और वो सो गयी। इस कारण से वीर अभिमन्यु ने केवल चक्र्वुह में प्रवेश करने का ज्ञान ही प्राप्त कर पाया था। सुभद्रा के सो जाने के कारन अधूरा ज्ञान ही प्राप्त कर पाए थे। 

क्या कारण था की अभिमन्यु को चक्रव्यूह में जाना पड़ा 


दोस्तों Abhimanyu Vadh में आगे, अभिमन्यु को क्यो जाना पड़ा चक्रव्यूह में ? 
दोस्तों अभिमन्यु को चक्रव्यूह में इसलिए जाना पड़ा क्योकि अर्जुन उस समय उपस्थित नहीं थे। और अर्जुन के अलावा अगर किसी की चक्रव्यूह में प्रवेश करने का ज्ञान था। तो वो अभिमन्यु थे जिन्हे चक्रव्यूह में प्रवेश करने का ज्ञान था। 
वीर अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से आज्ञा मांगी चक्रव्यूह में जाने के लिए लेकिन युधिष्ठिर ने आज्ञा नहीं दी जाने के लिए , अभिमन्यु जानते थे की जितने भी योद्धा मौजूद है इनमे से किसी को भी चक्रव्यूह को भेदना नहीं आता है। और अगर युधिष्ठिर चक्रव्यूह में गए तो कौरव सेना उन्हें बंदी बना लेगी और युद्ध हार जायेंगे। 
तभी अभिमन्यु ने मन बना लिया और चक्रव्यूह में प्रवेश करने लगे। जैसे ही अभिमन्यु चक्रव्यूह में प्रवेश किया वैसे ही जयद्रथ ने चक्रव्यूह का रास्ता बंद कर दिया। और युधिष्ठिर ,भीम ,नकुल ,सहदेव सब चक्रव्यूह के बाहर जयद्रथ ने रोके रखा और व्यूह के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। इधर अभिमन्यु घेरे को चीरते हुए आगे बढ़ रहे थे। कौरवी सेना को काटते हुए वो आगे बढ़ रहे थे। तभी वीर अभिमन्यु छटे घेरे को पार करते करते वीर अभिमन्यु ने  बृहदवाला ,रुक्मारथ ,लक्ष्मण और कर्ण के सात पालक भाइयों को और शल्य के पुत्रो और भी कई महारथी का वध करते हुए आगे बढ़ते चले गए थे। 


अभिमन्यु वध (Abhimanyu Vadh) 


दोस्तों बता दे की Abhimanyu Vadh में आगे क्या हुआ। 
वीर अभिमन्यु ने जब इन सबका वध कर दिया , ये सब कौरवी सेना और दर्योधन विचलित हो उठा और दर्योधन ने अपने पुत्र हानि के क्रोध में कहा की मुझे अभिमन्यु की मृत्यु चाहिए हर हाल में , दोस्तों दर्योधन ने द्रोणाचार्य को  एक साथ आक्रमण करने का आदेश दिया। Mahabharat युद्ध में अधर्मियों ने अपनी पराकाष्ठा दिखाई। एक अकेले योद्धा पर कौरवी महारथी ने आक्रमण  दिया जो की युद्ध के नियमों के खिलाफ था। 
वीर अभिमन्यु पर दर्योधन ,द्रोणाचार्य ,कृपाचार्य ,अश्वत्थामा, कर्ण ,कृतवर्मा आदि योद्धाओं ने एक नन्हे वीर अभिमन्यु पर हमला किया। आक्रमण इतना तेज किया की वीर अभिमन्यु का रथ भी टूट गया। लेकिन वीर अभिमन्यु ने हार नहीं मानी। 
और वीर अभिमन्यु ने डट कर सभी कौरवी योद्धाओं से अकेले संघर्ष करता रहा। अधर्मियों ने वीर अभिमन्यु की ढाल को गिरा दिया। तब अभिमन्यु ने रथ का पहिये को हाँथ में उठा कर अपनी ढाल बनाकर उन अधर्मियों से युद्ध किया। युद्ध करते करते तभी जयद्रथ ने पीछे से वीर अभिमन्यु पर भला से प्रहार किया तभी भाला अभिमन्यु का सीना चीरता हुआ निकल गया। उसके बाद कौरवो ने अभिमन्यु के ऊपर बार बार वार किया। और इस तरह वीर अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हो गए। 


निष्कर्ष 


दोस्तों वीर अभिमन्यु वध की कहानी महाभारत काव्य में एक बहुत ही मत्वपूर्ण घटना थी। वीर अभिमन्यु की वीरता और पराक्रम ने युद्ध की दशा को ही बदल के रख दिया था। और अभिमन्यु की वीरता और पराक्रम ने उनका नाम अमर बना  दिया। 
तो दोस्तों उम्मीद करता हु आपको Abhimanyu Vadh की कहानी पसंद आयी होगी।